मौलाना शाकिर जवाब दें!

सुन्नी दवाते इस्लामी के अमीर मौलाना शाकिर 4 सवालों के जवाब जल्द दें!

(1) अल्लाह तआला ने क़ुराने पाक में अपने महबूब सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम पर दुरूद भेजने का हुक्म दिया है, इस लिये हम भी किसी को दुरूदे पाक पढने का हुक्म दें तो सही है या गलत?

(2) अगर कोई मुक़र्रिर क़ुराने पाक के इस हुक्म का मज़ाक उडाए, इसकी मुखालेफत करे और इस को मआज़ल्लाह “रस्मे बद” (बुरी रस्म) कहे तो उसका क्या हुक्म है?

(3) “दुरूदे पाक पढने का हुक्म देना “रस्मे बद” (बुरी रस्म) है,” यह बात आप की तंजीम के सालाना इज्तेमा के स्टेज से आज़ाद मैदान मुंबई में कही गई, क्या उस मुक़र्रिर ने अपनी इस बात से तौबा और रुजू किया? अगर नहीं किया तो वह मुसलमान रहा या इस्लाम से ख़ारिज हो गया? क्या आप ने उस शख्स को अपनी तंजीम से अलग किया और इसका एलान किया?

(4) अहले सुन्नत के बड़े बड़े उलमा ए किराम की ऑडियो सुन कर और कई मोतबर लोगों की ज़बानी यह मालूम हो रहा है के आलमे इस्लाम के अज़ीम रूहानी व मज़हबी पेशवा, जा-नशीने हुज़ूर मुफ़्ती ए आज़म, ताजुश्शरिया हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद अख्तर रज़ा खान कादरी रहमतुल्लाह अलैह के सामने आप ने इसी बद-ज़ुबान गुमराह मुक़र्रिर के बारे में यह लिख कर दिया था और वादा किया था के “मैं उस शख्स को ६ महीने में ठीक कर लूं गा और अगर वह सही नहीं हुआ तो मैं खुद उस से अलग हो जाऊं गा.” फिर कई ६ महीने गुज़र गए, मगर न वह सुधरा न आप उस से अलग हुए, यहाँ तक कि वह मुक़र्रिर और भी ज़ियादा बिगड़ गया और ऊपर बयान की गई गुमराहियाँ उस ने आप के वादे के बाद आप ही के स्टेज से बकीं, फिर भी आप ने उसको नहीं छोड़ा. इस लिये क्यूँ न कहा जाए के आप ने अकाबिर उलमा ए किराम के हाथों पर किये गए वादे को ठुकरा दिया, अपनी ज़ुबान से फिर गए और हिदायत की बजाए गुमराही को गले लगा लिया?

सुन्नी दवाते इस्लामी के बारे में क़ाज़ी ए गुजरात खलीफा ए ताजुश्शरिया हज़रत मौलाना सय्यद सलीम बापू साहेब किबला का मुख्तसर बयान जो पूरे देश में वायरल हो रहा है. 

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सुन्नी दवाते इस्लामी के अमीर मौलाना शाकिर के निहायत पसंदीदा मुक़र्रिर, सुल्हे कुल्ली मोलवी ज़हेर बद दीन ने सुन्नी दवाते इस्लामी के स्टेज से आजाद मैदान में जो खुल्लम खुल्ला गुमराही बकी थी और ज़हर उगला था, उस के कुछ नमूने सुनिये.

सुन्नी दवाते इस्लामी के सरपरस्त मोलवी ज़हेर बद दीन ने कुरआनी हुक्म पर अमल को मआज़ल्लाह “रस्मे बद” (बुरा रिवाज) कहा, इस का रद शहजादा ए सदरुशशरीआ हुज़ूर मुहद्दिसे कबीर हज़रत अल्लामा मुफ़्ती ज़ियाउल-मुस्तफा कादरी साहेब किबला की ज़बानी सुनिए.

सुन्नी दवाते इस्लामी के ताल्लुक से अकाबिर उलमा ए अहले सुन्नत का हुक्म जानने के लिये क्लिक कीजिये.


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