सहाबी ए रसूल की तौहीन

हजरते अमीरे मुआविया की शान में तौहीन

बरेली शरीफ़ के सक़लैन मियां ने सहाबी ए रसूल हज़रते अमीरे मुआविया रदी अल्लाहो तआला अन्हो के बारे में यह कहा कि:
“मौला अली कररमल्लाहो वजहुल-करीम की शान के आगे हज़रते अमीरे मुआविया रदी अल्लाहो तआला अन्हो की क्या हैसियत है?
मआज़ल्लाह !
उनकी आवाज़ में सुनिए:

 

एक सहाबी रसूल का मुक़ाम आम मुस्लमानों बल्कि तमाम औलिया-ए-की बनिसबत भी उतना ऊंचा होता है कि उनकी शान में वो जुमले भी गुस्ताख़ी हो सकते हैं जो आम लोगों के लिए तौहीन ना कहलाते हूँ। लिहाज़ा किसी सहाबी के बारे में ये कहना कि “हज़रत अली की शान के आगे उन की क्या हैसियत है?  यक़ीनन इस में सहाबी की तौहीन है।अल्लाह ताला के मुक़र्रब बंदों का मर्तबा इस तरह नहीं बयान किया जाता जिससे किसी दूसरे मुक़र्रब बंदे की तहक़ीर हो। इस तरह कहना हरगिज़ जायज़ नहीं
गुस्ताख़ी भी करो फिर उन्हें जन्नती भी कहो इस से गुस्ताख़ी माफ़ नहीं होजाती। बल्कि जब तक गुस्ताख़ी से सच्चे दिल से तौबा ना की जाये, वो गुनाह क़ायम रहेगा और लाख बार जन्नती कहने से वो गुनाह ख़ुद बख़ुद नहीं मिट सकेगा
नोट सकलेन मियां का ख़ानदान-ए-आला हज़रत से कोई रिश्ता नहीं है और वो मसलक-ए-आला हज़रत पर एतराज़ किया करते थे। गुज़श्ता दिनों उर्स रिज़वी के मौक़ा पर जामा अलर्ज़ा बरेली शरीफ़ में मुफ़्ती शमशाद अहमद रिज़वी साहिब क़िबला की मसलक आला हज़रत पर की गई शानदार ईमान अफ़रोज़ तक़रीर पर भी इन्होंने एतराज़ किया था

हजरते अमीरे मुआविया की शान में तौहीन

बरेली शरीफ़ के सक़लैन मियां ने सहाबी ए रसूल हज़रते अमीरे मुआविया रदी अल्लाहो तआला अन्हो के बारे में यह कहा कि:
“मौला अली कररमल्लाहो वजहुल-करीम की शान के आगे हज़रते अमीरे मुआविया रदी अल्लाहो तआला अन्हो की क्या हैसियत है?
मआज़ल्लाह !
उनकी आवाज़ में सुनिए:

 

एक सहाबी रसूल का मुक़ाम आम मुस्लमानों बल्कि तमाम औलिया-ए-की बनिसबत भी उतना ऊंचा होता है कि उनकी शान में वो जुमले भी गुस्ताख़ी हो सकते हैं जो आम लोगों के लिए तौहीन ना कहलाते हूँ। लिहाज़ा किसी सहाबी के बारे में ये कहना कि “हज़रत अली की शान के आगे उन की क्या हैसियत है?  यक़ीनन इस में सहाबी की तौहीन है।अल्लाह ताला के मुक़र्रब बंदों का मर्तबा इस तरह नहीं बयान किया जाता जिससे किसी दूसरे मुक़र्रब बंदे की तहक़ीर हो। इस तरह कहना हरगिज़ जायज़ नहीं
गुस्ताख़ी भी करो फिर उन्हें जन्नती भी कहो इस से गुस्ताख़ी माफ़ नहीं होजाती। बल्कि जब तक गुस्ताख़ी से सच्चे दिल से तौबा ना की जाये, वो गुनाह क़ायम रहेगा और लाख बार जन्नती कहने से वो गुनाह ख़ुद बख़ुद नहीं मिट सकेगा
नोट सकलेन मियां का ख़ानदान-ए-आला हज़रत से कोई रिश्ता नहीं है और वो मसलक-ए-आला हज़रत पर एतराज़ किया करते थे। गुज़श्ता दिनों उर्स रिज़वी के मौक़ा पर जामा अलर्ज़ा बरेली शरीफ़ में मुफ़्ती शमशाद अहमद रिज़वी साहिब क़िबला की मसलक आला हज़रत पर की गई शानदार ईमान अफ़रोज़ तक़रीर पर भी इन्होंने एतराज़ किया था

हजरते अमीरे मुआविया की शान में तौहीन

बरेली शरीफ़ के सक़लैन मियां ने सहाबी ए रसूल हज़रते अमीरे मुआविया रदी अल्लाहो तआला अन्हो के बारे में यह कहा कि:
“मौला अली कररमल्लाहो वजहुल-करीम की शान के आगे हज़रते अमीरे मुआविया रदी अल्लाहो तआला अन्हो की क्या हैसियत है?
मआज़ल्लाह !
उनकी आवाज़ में सुनिए:

 

एक सहाबी रसूल का मुक़ाम आम मुस्लमानों बल्कि तमाम औलिया-ए-की बनिसबत भी उतना ऊंचा होता है कि उनकी शान में वो जुमले भी गुस्ताख़ी हो सकते हैं जो आम लोगों के लिए तौहीन ना कहलाते हूँ। लिहाज़ा किसी सहाबी के बारे में ये कहना कि “हज़रत अली की शान के आगे उन की क्या हैसियत है?  यक़ीनन इस में सहाबी की तौहीन है।अल्लाह ताला के मुक़र्रब बंदों का मर्तबा इस तरह नहीं बयान किया जाता जिससे किसी दूसरे मुक़र्रब बंदे की तहक़ीर हो। इस तरह कहना हरगिज़ जायज़ नहीं
गुस्ताख़ी भी करो फिर उन्हें जन्नती भी कहो इस से गुस्ताख़ी माफ़ नहीं होजाती। बल्कि जब तक गुस्ताख़ी से सच्चे दिल से तौबा ना की जाये, वो गुनाह क़ायम रहेगा और लाख बार जन्नती कहने से वो गुनाह ख़ुद बख़ुद नहीं मिट सकेगा
नोट सकलेन मियां का ख़ानदान-ए-आला हज़रत से कोई रिश्ता नहीं है और वो मसलक-ए-आला हज़रत पर एतराज़ किया करते थे। गुज़श्ता दिनों उर्स रिज़वी के मौक़ा पर जामा अलर्ज़ा बरेली शरीफ़ में मुफ़्ती शमशाद अहमद रिज़वी साहिब क़िबला की मसलक आला हज़रत पर की गई शानदार ईमान अफ़रोज़ तक़रीर पर भी इन्होंने एतराज़ किया था

हजरते अमीरे मुआविया की शान में तौहीन

बरेली शरीफ़ के सक़लैन मियां ने सहाबी ए रसूल हज़रते अमीरे मुआविया रदी अल्लाहो तआला अन्हो के बारे में यह कहा कि:
“मौला अली कररमल्लाहो वजहुल-करीम की शान के आगे हज़रते अमीरे मुआविया रदी अल्लाहो तआला अन्हो की क्या हैसियत है?
मआज़ल्लाह !
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एक सहाबी रसूल का मुक़ाम आम मुस्लमानों बल्कि तमाम औलिया-ए-की बनिसबत भी उतना ऊंचा होता है कि उनकी शान में वो जुमले भी गुस्ताख़ी हो सकते हैं जो आम लोगों के लिए तौहीन ना कहलाते हूँ। लिहाज़ा किसी सहाबी के बारे में ये कहना कि “हज़रत अली की शान के आगे उन की क्या हैसियत है?  यक़ीनन इस में सहाबी की तौहीन है।अल्लाह ताला के मुक़र्रब बंदों का मर्तबा इस तरह नहीं बयान किया जाता जिससे किसी दूसरे मुक़र्रब बंदे की तहक़ीर हो। इस तरह कहना हरगिज़ जायज़ नहीं
गुस्ताख़ी भी करो फिर उन्हें जन्नती भी कहो इस से गुस्ताख़ी माफ़ नहीं होजाती। बल्कि जब तक गुस्ताख़ी से सच्चे दिल से तौबा ना की जाये, वो गुनाह क़ायम रहेगा और लाख बार जन्नती कहने से वो गुनाह ख़ुद बख़ुद नहीं मिट सकेगा
नोट सकलेन मियां का ख़ानदान-ए-आला हज़रत से कोई रिश्ता नहीं है और वो मसलक-ए-आला हज़रत पर एतराज़ किया करते थे। गुज़श्ता दिनों उर्स रिज़वी के मौक़ा पर जामा अलर्ज़ा बरेली शरीफ़ में मुफ़्ती शमशाद अहमद रिज़वी साहिब क़िबला की मसलक आला हज़रत पर की गई शानदार ईमान अफ़रोज़ तक़रीर पर भी इन्होंने एतराज़ किया था

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बरेली शरीफ़ के सक़लैन मियां ने सहाबी ए रसूल हज़रते अमीरे मुआविया रदी अल्लाहो तआला अन्हो के बारे में यह कहा कि:
“मौला अली कररमल्लाहो वजहुल-करीम की शान के आगे हज़रते अमीरे मुआविया रदी अल्लाहो तआला अन्हो की क्या हैसियत है?
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एक सहाबी रसूल का मुक़ाम आम मुस्लमानों बल्कि तमाम औलिया-ए-की बनिसबत भी उतना ऊंचा होता है कि उनकी शान में वो जुमले भी गुस्ताख़ी हो सकते हैं जो आम लोगों के लिए तौहीन ना कहलाते हूँ। लिहाज़ा किसी सहाबी के बारे में ये कहना कि “हज़रत अली की शान के आगे उन की क्या हैसियत है?  यक़ीनन इस में सहाबी की तौहीन है।अल्लाह ताला के मुक़र्रब बंदों का मर्तबा इस तरह नहीं बयान किया जाता जिससे किसी दूसरे मुक़र्रब बंदे की तहक़ीर हो। इस तरह कहना हरगिज़ जायज़ नहीं
गुस्ताख़ी भी करो फिर उन्हें जन्नती भी कहो इस से गुस्ताख़ी माफ़ नहीं होजाती। बल्कि जब तक गुस्ताख़ी से सच्चे दिल से तौबा ना की जाये, वो गुनाह क़ायम रहेगा और लाख बार जन्नती कहने से वो गुनाह ख़ुद बख़ुद नहीं मिट सकेगा
नोट सकलेन मियां का ख़ानदान-ए-आला हज़रत से कोई रिश्ता नहीं है और वो मसलक-ए-आला हज़रत पर एतराज़ किया करते थे। गुज़श्ता दिनों उर्स रिज़वी के मौक़ा पर जामा अलर्ज़ा बरेली शरीफ़ में मुफ़्ती शमशाद अहमद रिज़वी साहिब क़िबला की मसलक आला हज़रत पर की गई शानदार ईमान अफ़रोज़ तक़रीर पर भी इन्होंने एतराज़ किया था

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बरेली शरीफ़ के सक़लैन मियां ने सहाबी ए रसूल हज़रते अमीरे मुआविया रदी अल्लाहो तआला अन्हो के बारे में यह कहा कि:
“मौला अली कररमल्लाहो वजहुल-करीम की शान के आगे हज़रते अमीरे मुआविया रदी अल्लाहो तआला अन्हो की क्या हैसियत है?
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गुस्ताख़ी भी करो फिर उन्हें जन्नती भी कहो इस से गुस्ताख़ी माफ़ नहीं होजाती। बल्कि जब तक गुस्ताख़ी से सच्चे दिल से तौबा ना की जाये, वो गुनाह क़ायम रहेगा और लाख बार जन्नती कहने से वो गुनाह ख़ुद बख़ुद नहीं मिट सकेगा
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“मौला अली कररमल्लाहो वजहुल-करीम की शान के आगे हज़रते अमीरे मुआविया रदी अल्लाहो तआला अन्हो की क्या हैसियत है?
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गुस्ताख़ी भी करो! फिर उन्हें जन्नती भी कहो! इस से गुस्ताख़ी माफ़ नहीं हो जाती। बल्कि जब तक गुस्ताख़ी से सच्चे दिल से तौबा न की जाये, वह गुनाह क़ायम रहेगा और लाख बार जन्नती कहने से वह गुनाह ख़ुद बख़ुद नहीं मिट सकेगा।
नोट: सक़लैन मियां का ख़ानदाने आला-हज़रत से कोई रिश्ता नहीं है और वह मसलके आला हज़रत पर एतेराज़ किया करते थे। पिछले दिनों उर्स रिज़वी के मौक़ा पर जामियातुर रज़ा बरेली शरीफ़ में मुफ़्ती शमशाद अहमद रज़वी साहब क़िबला की मसलके आला-हज़रत पर की गई शानदार ईमान अफ़रोज़ तक़रीर पर भी इन्होंने एतराज़ किया था


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