सुन्नी दावते इस्लामी

सन्नी दावते इस्लामी का हुक्म

मोलवी ज़हीरुद्दीन की सरपरस्ती में चलने वाली तंज़ीम सुन्नी दावते इस्लामी कई ग़लत कामों और मसलके-आला हज़रत से हटने की वजह से हुज़ूर ताजुश्शरीआ रहमतुल्लाह अलैह, हुज़ूर मुहद्दिसे कबीर मद्दाज़िल्लाहुल-आली और दीगर अकाबिर उल्मा ने बरसों पहले ही अवाम को इस तंज़ीम से दूर रहने का हुक्म दे दिया था और हुज़ूर ताजुश्शरीआ रहमतुल्लाह अलैह ने मुख़्तसर अलफ़ाज़ में ये फरमा दिया था कि “दावते इस्लामी और सुन्नी दावते इस्लामी, यह दोनों तंज़ीमें मसलके आला हज़रत की मुबल्लिग़ नहीं।”

अल्लाह ताआला ने क़ुरआने मजीद में अपने महबूब सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर दुरूद भेजने का हुक्म दिया है। अब अगर कोई मुक़ररिर क़ुराने पाक के इस हुक्म का मज़ाक़ उड़ाए, इस की मुख़ालिफ़त करे और इस को मआज़ल्लाह रस्मे बद (बुरी रस्म) कहे तो क्या वह मुसलमान रहेगा?

मगर अफ़सोस कि यह बात मुंबई में सुन्नी दावते इस्लामी के सालाना इजतिमा के स्टेज से सुन्नी दावते इस्लामी के सरपरस्त मोलवी ज़हीरुद्दीन ने कही और आज तक तौबा नहीं किया ना ही मौलाना शाकिर ने उसे अपनी तंज़ीम से अलग किया बल्कि आज भी उसी की सरपरस्ती में काम कर रहे हैं।

आलमे इस्लाम के अज़ीम रुहानी व मज़हबी पेशवा, जानशीने हुज़ूर मुफ़्ती ए आज़म, ताजुश्शरीआ, हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद अख़तर रज़ा ख़ां कादरी रहमतुल्लाह अलैह के सामने मौलाना शाकिर ने इसी बद-ज़ुबान गुमराह मुक़ररिर मोलवी ज़हीरुद्दीन के बारे में यह लिख कर दिया था और वादा किया था कि “में इस शख़्स को ६ महीने में ठीक कर लूंगा और अगर यह सही नहीं हुआ तो मैं ख़ुद इस से अलग हो जाऊंगा।” फिर कई ६ महीने गुज़र गए मगर ना वह सुधरा ना मौलाना शाकिर उस से अलग हुए, यहां तक कि वह और ज़ियादा बिगड़ गया और ऊपर बयान की गई गुमराहियां उसने मौलाना शाकिर के वादे के बाद उन्ही के स्टेज से बकीं फिर भी मौलाना शाकिर ने उसे नहीं छोड़ा।

सुन्नी दावते इस्लामी के सरपरस्त मोलवी ज़हरे बददीन ने सुन्नी दावते इस्लामी के स्टेज से आज़ाद मैदान में जो खुल्लम खुल्ला गुमराही बकी थी और ज़हर उगला था उस के कुछ नमूने सुनिये:

सुन्नी दावते इस्लामी के सरपरस्त मोलवी ज़हरे बददीन ने कुरआनी हुक्म पर अमल को मआज़ल्लाह रस्मे-बद (बुरि रस्म) कहा, इस का रद शहज़ादा ए सदरुश्शरीआ, हुज़ूर मुहद्दिसे कबीर, हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद ज़ियाउल मुस्तफा क़ादरी अमजदी मद्दाज़िल्लाहुल-आली की ज़ुबानी सुनिये:

सुन्नी दावते इस्लामी जिस आज़ाद ख़्याल मुफ़्ती को अपने इजतिमा में सवाल व जवाब के लिये बुलाती है, उसने राम की तारीफ़ को ईमान की निशानी कहा। मआज़ल्लाह! बटन दबा कर तफ़सील देखिए:

जानशीने हुज़ूर मुफ़्ती ए आज़म, ताजुश्शरीआ, हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद अख़तर रज़ा ख़ां कादरी अज़हरी रहमतुल्लाह अलैह (बरेली शरीफ़) ने मुस्लमानों को सुन्नी दावते इस्लामी से दूर रहने का हुक्म दिया:

शहज़ादा ए सदरुश्शरीआ, हुज़ूर मुहद्दिसे कबीर, हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद ज़ियाउल मुस्तफा क़ादरी अमजदी मद्दाज़िल्लाहुल-आली की ज़ुबानी सुन्नी दावते इस्लामी के अमीर मौलाना शाकिर नूरी का तआरुफ़:

हुज़ूर ताजुश्शरीआ रहमतुल्लाह अलैह ने २००६ में मोलवी शाकिर को उल्मा कौंसिल के मोलवी ज़हरे बददीन के नुक़्सान से आगाह कर दिया था मगर मौलाना शाकिर ने हज़रत की नसीहत पर अमल नहीं किया और अगले ही साल मोलवी ज़हरे बददीन ने सुन्नी दावते इस्लामी के स्टेज से ख़ूब ज़हर उगला और यह भी कहा कि क़ब्र में मसलक नहीं पूछा जाए गा। मआज़ल्लाह!

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अमीनुल-क़ादरी असली सय्यद नहीं है बल्कि नसब बदल कर सय्यद हुआ है। तफ़सील देखने के लिए क्लिक करें:

सुन्नी दावते इस्लामी के अमीर मौलाना शाकिर से मालेगांव के अवाम कई सालों से ४ इंतिहाई अहेम मगर आसान सवाल पूछ रही है लेकिन वह हर बार जवाब दिये बग़ैर मालेगांव से वापस चले जाते हैं। तफ़सील के लिए क्लिक कीजीए:

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